Forceps Delivery of baby

Forceps delivery शिशु जन्म की वह विधि जिसमें विशेषाकार की Forceps से गर्भ के सिर को 1-1 महोंने पकड़कर, बिना सिर को चोट पहुँचाए, गर्भ को पूरा बाहर निकाल लिया जाए, उसे Forceps delivery कहते हैं।

चिमटियाँ जिनका प्रसव कराने में उपयोग किया जाता है –

• अक्षकर्षण युक्ति सहित या रहित लम्बी वक्रीय चिमटी (Long curved forceps)-

उदाहरण-सिम्पसन्स चिमटी (Simpsons forceps)

दास प्रकार चिमटी (Das’s variety forceps)

नैविली-ब्रार्नेस चिमटी (Neville Brarnes forceps)

काईलैण्ड्स चिमटी (Kielland’s forceps)- यह अक्षकर्षण रहित लम्बी वक्री चिमटी होती है।

ये चिमटियाँ 37 सेमी. लम्बी होती हैं।

• छोटी वक्रीय चिमटी (Short curved forceps)- ये चिटियाँ लम्बी चिमटियों में छोटी होती हैं। ये हल्की व सामान्य लम्बाई की वक्रीय चिमटी से भार में लगभग 1/3rd हैं। उदाहरण-रिग्ले चिमटी (Wrigley forceps)!

उपरोक्त चिमटियों में खिसकने वाला ताला (Sliding lock), दो फलक (Blade), पिंडली (Shank), हत्या (Handle) आदि संरचनाएँ होती हैं। फलक व पिंडली वाले भाग में दो स्थानों पर वक्रीय मोड़ पाये जाते हैं-

(i) सिर वक्र (Lephalic curve)

(ii) श्रोणीय वक्र (Pelvic curve)

Fig-Forceps Delivery

चिमटी प्रसव की पूर्वाकांक्षाएँ (Prerequisites for Forceps delivery) – गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) पूर्णतः फैला हुआ (Completely dilated) होना चाहिए।

• गर्भ के सिर की सही-सही स्थिति (Exact position) का ज्ञान होना चाहिए।

• गर्भ झिल्लियाँ फटी हुई ( Ruptured) होनी चाहिए।

• गर्भ शीर्ष प्रस्तुति (Vertex presentation) या चेहरा प्रस्तुति (Face presentation) में होना चाहिए।

• ठोड़ी (Chin) आगे की ओर, सिर फँसा हुआ, विशेषकर मूलाधार (Perineum) पर होना चाहिए।

• किसी भी परिस्थिति में कपाल श्रोणीय विषमानुपात (CPD) नहीं होना चाहिए।

चिमटी प्रसव की स्थितियाँ (Conditions for Forceps delivery)- मूलाधारी कठोरता (Rigid perineum), पश्चकपाल-पश्चवर्ती अवस्था (Occipito-posterior position) का लगातार बना रहना, गहरी अनुप्रस्थ रोक (Deep transverse arrest), असामान्य प्रस्तुति, विशेषकर नितम्ब प्रस्तुति (Breech presentation), गर्भाशयिक जड़त्व (Uterine inertia) आदि के कारण प्रसव के द्वितीय चरण में विलम्ब होने पर।

गर्भावस्था की किसी जटिलता से प्रसवा पीड़ित हो; जैसे-

→ प्राक्ङ्गर्भाक्षेप (Pre-eclampsia)

→ फुफ्फुस रोग (Pulmonary disease)

→ रक्त विषाक्तता (Toxaemia)

→ प्रसवा पीड़ा (Maternal distress)

→ हृदय रोग (Cardiac disease)

• गर्भ के किसी जटिलता (Complication) से ग्रस्त होने पर; जैसे-रज्जु भ्रंश (Cord prolapse), प्रसव के द्वितीय चरण में गर्भ पीड़ा (Foetal distress), पश्च परिपक्वता (Post maturity) आदि ।

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