पल्सेटिला (Pulsatilla)
(विंड फ्लावर)
औषधियों में वायु-दिशा-दर्शक ।
Palsatila plant
पल्सेटिला के चुनने में मानसिक भाव और अवस्थाएँ मुख्य सांकेतिक लक्षण होते हैं। यह विशेष रूप से स्त्री-रोग की औषधि है, खासकर कोमल, विनीत, सरलता से झुक जाने वाली प्रकृति की स्त्रियाँ । उदास जल्द रो दे, बात करते समय रुदन करे, परिवर्तनशील विरोधाभास, रोगी खुली हवा खोजता है, वहाँ अच्छा मालूम होता है, सर्दी लगती है। सभी श्लैष्मिक झिल्लियाँ रोगग्रस्त हों । स्राव गाढ़ा, मन्द और पीलापन लिए हरा । अक्सर लौड़ की आधारित शक्तिवर्धक औषधियों के बाद सांकेतिक होती है। चेचक की ठीक चिकित्सा न होने के बाद लक्षण बराबर बदलते रहते हैं। बिना प्यास, चिड़चिड़ापन और शीत से काँपे । जब युवाकाल की अवस्था में स्वास्थ्य बिगड़ने के तीव्र आक्रमण हों। अति स्पर्शकातर, सिर ऊँचा करके रखना चाहे। एक तकिये से असुविधा। हाथों को सिर के नीचे करके लेटे ।
मन-रुदन, सरल डरपोक, चिड़चिड़ा। शाम को अकेले रहने से भय, अन्धेरे में रहने से प्रेत भय और भूत का भय । ढाढ़स पसन्द करे। बच्चे खिलवाड़ और चुंबन पसन्द करें । जल्दी उत्साहहीन हो जाए । विपरीत लिंग के लोगों में भय । धार्मिक विषाद। सुख और दुःख की चरम सीमा पसन्द करें। अति भावुक। मानसिक अस्थिरता।
सिर-सिर में भ्रमणशील चिलकन, दर्द चेहरे और आँखों तक बढ़े, चक्कर, खुली हवा में कम । अगले भाग में और आँखों के घेरों के ऊपर दर्द । स्नायुशूल, दाहिनी कनपटी से शुरू हो, उसी तरफ की आँख से तेजाबी आँसू । अधिक परिश्रम से सिर दर्द हो। सिर पर दाग ।
कान-मानो कोई चीज बाहर को ढकेली जा रही हो। ऊँचा सुने मानों कान भरे हो। कर्ण प्रदाह । गाढ़ा, मन्द स्राव, घृणित गन्ध । बाहरी कान सूजा हुआ लाल । नजले का कर्ण प्रदाह । कर्ण शूल, रात में बढ़े। सुनने की तीव्रता कम करती है।
आँखें – गाढ़ा, अधिक, पीला, मन्द स्राव, अनुत्तेजक । आँखों में खुजली और जलन । अधिक जलस्राव और श्लैष्मिक स्राव, पलक सूजे, चिपके हुए। बिलनी । नेत्र छिद्र की शिराएँ बहुत बढ़ी हुई। नवजात शिशु का नेत्रप्रदाह । मन्द नेत्रप्रदाह, मन्दाग्नि के साथ, गरम कमरे में अधिक ।
नाक-जुकाम, दाहिना नथुना बन्द, नाक की जड़ पर दाब । सूँघने की शक्ति लोप । नाक के भीतर बढ़ी हुई, हरी, घृणित खुरण्ड । शाम को नाक बन्द हो जाए। पीला श्लेष्मा, सुबह को अधिक। बुरी गन्ध, जैसा पुराने जुकाम में होता है। नाक की हड्डियाँ वेदनापूर्ण ।
चेहरा-दाहिनी तरफ का स्नायु-शूल, अधिक आँसू निकलने के साथ। नीचे का होंठ फूला हुआ जो मध्य में चिपटा हो। आँखों के घेरों के ऊपर शूल जो सन्ध्या से आधी रात तक रहे, दर्द के साथ शीत ।
मुँह-चिपचिपा स्वाद । सूखा मुँह, बिना प्यास, घड़ी घड़ी धोना चाहे । सूखे होठों को अक्सर चाटा करे। निचले होठों के बीच में चिटकन हो। पीले या सफेद जुबान जिस पर चिमड़ा श्लेष्मा। चिपका हो। दाँत दर्द, मुँह में ठंडा पानी रखने से कम रहे । (कॉफि.) । मुँह से घृणित दुर्गन्ध। (मर्क., आरम.)। खाना, खासकर रोटी कड़वी लगे। अधिक मीठी लार । स्वाद परिवर्तनशील, कड़वा, पित्त का, पीठी का, नमकीन, घृणित । विरसता । उत्तेजक वस्तुओं की इच्छा ।
आमाशय – स्निग्ध गरम खाने और पीने से घृणा । डकार, खाने का स्वाद देर तक रहे, बरिफ, फल पेस्टरी का स्वाद । कड़वा स्वाद, सभी चीज का स्वाद कम मालूम पड़े । छिछले चर्म घाव की तरह दर्द, अफरा, मक्खन से घृणा (सैंग्वि)। गला जले, मन्दाग्नि, खाने के बाद कसाव, कपड़े ढीले करने पड़ें। सभी रोगों के साथ प्रायः प्यास का अभाव । खाने के बहुत देर बाद उसी की कै। खाने के एक घण्टे पहले पेट में दर्द (नक्स.) । पेट में बोझ जैसा, खासकर जागने पर। कुरतन, भूखापन ।