नवजात शिशु धनुस्तम्भ (NEONATORUM TETANUS

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नवजात शिशु धनुस्तम्भ (NEONATORUM TETANUS)

नवजात शिशुओं में सामान्यतया नाभि (umbilicus) के संक्रमण के कारण होने वाले धनुस्तम्भ (tetanus) को नवजात शिशु धनुस्तम्भ (neonatorum tetanus) कहते हैं।

कारण (Causes)-

अधिकतर यह रोग नवजात शिशु की नाभी-रज्जू के कटे हुए भागण है (umbilical stump) में क्लोस्ट्रीडियम टिटैनी (Clostridium tetani) के संक्रमण के कारण होता है।

शारीर में पाये जाने वाले अन्य घाव (जैसे शल्यकर्म या प्रसव के दौरान होने वाले घाव या चोट) में भी क्लोस्ट्रीडियम टिटैनी के संक्रमण से ही यह रोग होता है।

लक्षण (Symptoms)-

टिटैनस के जीवाणु घाव वाले स्थान पर ही वृद्धि करते हैं तथा एक प्रकार का घुलनशील (soluble) जीवविष (toxin) उत्पन्न करते हैं। यह जीवविष रक्तसंचार (blood circulation) के द्वारा मस्तिष्क (brain) तथा मेरुरज्जू तंत्रिकाओं (spinal cord nerves) में पहुँच जाता है। यह जीवविष (toxin) पेशियों (muscles) में स्थित तंत्रिकाओं के अन्तिम छोरों को प्रभावित करता है। जिससे शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं, जो निम्न प्रकार 一

शिशु की गर्दन अकड़ जाती (neck rigidity) है। उसके जबड़े की पेशियाँ जकड़ जाते हैं, जिससे जबड़ा बंध (lock jaw) हो जाता है। शिशु को निगलने में परेशानी होती है। उदर एवं हाथ पैरों की मांस पेशियाँ भी जकड़ जाती हैं। चेहरे की मांस पेशियों की जकड़ की वजह में चेहरे की एक विशेष प्रकार की आकृति बन जाती है। जिसमें रोगी के होठ (lips) उसके मसूड़ों से भिच जाते हैं (risus sardonicus)। रोगी/शिशु की पीठ कमान के समान मुड़ जाती है तथा सिर पीछे की ओर खिंच जाता है (Opisthotonus posture- धनुषाकार मुद्रा)। इस रोग से पीड़ित रोगी में अत्यधिक उत्तेजनशीलता (hyperirritability) पाई जाती है।

शिशु की पीठ कमान के समान मुड़ जाती है तथा सिर पीछे की ओर खिंच जाता है

धनुषाकार मुद्रा (Opisthotonus posture)

इश्का सा उद्दीपन (stimulation) देने से ही रोगी को आक्षेप (convulsions) आने लगते १. जो कि रोगी को बहुत ही कष्टदायक होते हैं। रोगी की दम घुटने लगती है और उसका मंदीर नीला (cyanosis) होने लगता है। रोगी को मूत्रावरोध (urinary retention) हो सकता है।

चिकित्सा (Treatment)-

टिटैनस रोग से पीड़ित नवजात शिशु को मध्यम प्रकाश एवं शान्त वातावरण युक्त गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) के हवादार कमरे में रखा जाता है।

दूब (fluid) आदि देने के लिए शिराभ्यन्तर मार्ग (I/V line) तैयार कर लेते हैं तथा आयु के अनुसार या वजन के अनुसार द्रव देना प्रारम्भ कर देते हैं।

जीवविष (toxin) को उदासीन करने के लिए 500 यूनिट ह्यूमन एन्टी टिटैनस इम्यूनो- ग्लोबुलिन (human anti-tetanus immunoglobulin) को अन्तःपेशीय (I/M) देते हैं।

टिटैनस वैक्सीन (tetanus vaccine) को 0.5ml अन्तः पेशीय (I/M) लगाते हैं।

पैनौसिलिन (penicillin) 1 lakh unit/kg/day चार विभाजित मात्राओं में IIM अथवा I/ V. 10 दिन तक दिया जाता है।

आक्षेपों (convulsions) को रोकने के लिए डायजीपाम (diazepam) को 1mg प्रति किलोग्राम शरीर के वजन (body weight) के हिसाब से धीरे-धीरे लगभग तीन मिनट में लगाते हैं या पैरेल्डीहाइड (paraldehyde) को 0.3 ml प्रति किलो शरीर के वजन के हिसाब से गुदा में (rectally) अरचिस ओइल (archis oil) के साथ लगाते हैं। गैरेल्डीहाइड को शिरा द्वारा (IV) या अन्तः पेशीय (I/V) नहीं देते हैं।

यदि ऐंठन या आक्षेप 30 मिनट के अन्दर बन्द नहीं होते हैं, तो डायजीपाम (diazepam)

या पैरेल्डीहाइड (paraldehyde) को पुनः लगाते हैं।

यदि फिर भी आक्षेप आना बन्द नहीं होते हैं, तो 30 मिनट के बाद एक बार पुनः डायजीपाम की उपरोक्त मात्रा को दिया जाता है।

यदि फिर भी आक्षेप लगातार आ रहे हों या बार-बार आ रहे हों तो डायजीपाम को उपरोक्त मात्रा में शिरा द्वारा धीरे-धीरे प्रत्येक 6-6 घण्टे में लगाते रहते हैं।

डायजीपाम लगाने से पहले शिशु की श्वसन गति (respiratory rate) को चैक कर लेते हैं। आक्षेपों के आने के बाबजूद भी यदि श्वसन गति 30 बार प्रति मिनट से कम है तो डायजीपाम का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।

आक्षेपों के कारण यदि जीभ (tongue) और औंठ (lip) नीले (blue) हो रहे हों तो रोगी को ऑक्सीजन (oxygen) दी जाती है।

आक्षेपों या ऐंठन (spasms) के बीच में गैस्ट्रिक ट्यूब (gastric tube) के द्वारा माँ का दूध पिलाते रहते हैं। प्रारम्भ में शिशु की आयु के अनुसार दी जाने वाली दूध की मात्रा की आधी मात्रा देना प्रारम्भ करते हैं। फिर धीरे-धीरे द्रव (fluid) की मात्रा को कम करते हुए दूध की मात्रा को बढ़ाते जाते हैं।

यदि बच्चे को दो दिन तक आक्षेप या ऐंठन (spasm) नहीं होते हैं और यदि वह ठीक प्रकार से पोषण ले रहा होता है तो उसको अस्पताल में रखने की आवश्यकता नहीं होती है। उसे घर भेज सकते हैं।

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