कैमोमिला (Chamomilla) Homeopathic Medicine
(जर्मन कैमोमाइल)
इसके मुख्य सांकेतिक लक्षण मानसिक और संवेग क्षेत्र हैं जो कई प्रकार की बीमारियों में इस औषधि की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं। विशेषकर बच्चों के रोग में बहुधा उपयोगी होता है । जहाँ चिड़चिड़ापन, अशान्ति, शूल इस औषधि के सांकेतिक लक्षण उपस्थित हों । कोमल, नम्र, शान्त प्रकृति, सुस्त और कब्ज इस औषधि की विपरीत अवस्था दर्शाती हैं । कैमोमिला में स्नायविकता, चिड़चिड़ापन, प्यास, गरमी, सुन्न होना उपस्थित हैं। कॉफी और नींद लाने वाली औषधियों के दुरुपयोग के कारण अति स्नायविकता । सुन्नपन से सम्बन्धित असह्य पीड़ा। रात में पसीना।
मन-कराहे, बेचैन । बच्चा बहुत-सी चीजें माँगता है। जिनका वह फिर बहिष्कार करता है। करुणामयी सिसकन क्योंकि बच्चा जो वस्तु माँगता है उसे नहीं मिल रही । बच्चा उसी समय चुप होता है जब उसको गोद में लेकर इधर-उधर घुमाया जाये और थपथपाया जाये । अधीर, किसी के बात करने को या रुकावट डालने को सहन न करे । प्रत्येक पीड़ा से अति उत्तेजित, सदा शिकायत किया करे। बदला लेना चाहे, कटकटाना, क्रोध और चिढ़ने से रोग उत्पन्न होना। मानसिक शान्ति कैमोमिला के विरुद्ध अवस्था विदित करती है।
सिर-आधे मस्तिष्क में कड़क के साथ सिर दर्द। सिर को पीछे झुकाने की प्रवृत्ति । माथे और सिर पर गरम चमकीला पसीना ।
कान-कानों में टनटनाहट । चोटीलापन के साथ कान दर्द, सूजन और जलन जो रोगी को पागल बना दे। फटन दर्द। कान बन्द मालूम दें ।
आँखें- पलकों में तीव्र गढ़न। पीला, रक्तहीन पलकों का आक्षेप ।
नाक-सभी गन्ध असह्य । जुकाम, नींद न आये ।
चेहरा-एक गाल लाल और गरम, दूसरा पीला और ठण्डा। जबड़ों में चिलक, भीतरी कान और दाँतों तक बढ़े। गरम चीज पीने के बाद दाँत दर्द करे। कॉफी पीने से और रात के समय कष्ट बढ़े। पागल बना दे। जीभ और चेहरे की पेशियों में झटका ।
दाँत निकलते समय बालकों के कष्ट, (कैल्बे., फास., टेरेबिंध.) ।
गला-कर्णमूल और हन्वधोवर्ती लालाग्रन्थि की सूजन । संकुचन और दर्द । गुल्ली कसा जैसा ।
मुँह-दाँत दर्द, अगर कोई गरम चीज खाई जाये, कॉफी से, गर्भावस्था में रात को लार बहती है ।
पेट-डकार दूषित । कॉफी पीने से मिचली आये । खाने या पीने के बाद पसीना होना । गरम चीज पीने से घृणा । जुबान पीली, कड़वा स्वाद । पित्त की कै
तेजाबी पानी गले में आना, भोजन ऊपर आना। कडवी पित्त की कै । पत्थर के दाय जैसा पाकाशयिक शूल (ब्रायो. एबिस-नाइग्रा.) ।
उदर-फूला, तना हुआ। नाभि प्रदेश में चमोकन और पिठासे में दर्द । वायुराल, क्रोध के बाद, लाल गाल और गरम पसीना कै के साथ। जिगर शूल । तीव्र पाकाशय शूल, (कैली. बाईक्रो., जीर्ण) ।
(कैली गरम, हरा, पानी-सा दूषित, चिकना शूल के साथ । छिल्केदार, सफेर और पीला अण्डा और पालक की कतरन की तरह । गुदा का चोटीलापन । दाँत निकलने के समय दस्त । बवासीर, दर्दीले दरारों के साथ ।
स्त्री-गर्भाशय से रक्त प्रवाह । प्रसव जैसा दर्द के साथ बहुत अधिक थक्केदार काला खून निकले । प्रसव दर्द रुक-रुक कर तेज हो, ऊपर की तरफ बढ़े (जेल्ससे.), रोगी दर्द को सहन न करे (काल्वि., कॉस्टिकम., जेल्से., हायास., पल्से.) स्तन घुण्डी सूजी हुई, छुई न जाये । बच्चे के कुच कोमल। पीला, तेजाबी प्रदर । (आर्स., सौपि. सल्फ.) ।
श्वास-यन्त्र-आवाज का भारीपन, खखारना, स्वर-यन्त्र का कच्चापन । उत्तेजनीय सूखी, गुदगुदीदार खाँसी, सीने में कसाव, दम घुटना । दिन में कड़वे बलगम के साथ। बच्चे की छाती में श्लेष्मा का खड़खड़ाना ।
पीठ-कमर और कोटि में असह्य दर्द। कटिवात, गरदन की पेशियों का तनाव।
अंग-तीव्र वात दर्द, रात में बिस्तर भिगो दे, इधर-उधर टहलने को बाध्य । रात में तलवों का जलना । (सल्फर) तीसरे पहर टखने अवश हो जायें। प्रत्येक रात में पैरों की पक्षाघातिक कार्यहीनता, चल न सके ।
नींद-कराहने के साथ औंघाई, नींद में रोना, चिल्लाना, उत्सुक, भयानक स्वप्न, आधी खुली आँखें ।
घटना-बढ़ना-बढ़ना : गरम, क्रोध, खुली हवा, तेज हवा, रात के समय ।
घटना : गोद में टहलने के बाद, गरम, तर मौसम में ।
सम्बन्ध-तुलना कीजिए :
साइग्रीपेड, एन्थेमिस, एकोनाइट, पल्से., कॉफिया, बेलाडोना, स्टैफिस., इग्नेसि, बच्चों की बीमारी में और कुनैन के दुरुपयोग के बाद बेलाडोना के बाद अच्छा काम करती है। रुबस बिल्लोसस- ब्लैकबेरी- (बचपन का दस्त, मल पनीला और मटियाले रंग का) ।
मारक-कैम्फो., नक्स, पल्से. ।
पूरक-बेल, मैग., कार्ब ।
मात्रा-3 से 30 शक्ति ।