Bed sore cause more painful ?

Bad Sore

Bed sore

Bed sore लगातार अधिक समय तक बिस्तर पर पड़े रहने से उत्पन्न त्वचा के घावों को शय्या क्षत (Bed sore) कहते हैं। ये शय्याक्षत हड्डी के उन उभरे स्थानों पर बनते हैं जो बिस्तर पर लेटने की अवस्था में पलंग या चारपाई की कठोर सतह के सम्पर्क में रहते हैं। इन स्थानों की त्वचा व मृदु ऊतक (skin and soft tissue) शैय्या (Bed) और हड्‌डी की कठोरता के बीच शरीर के भार से दब जाते हैं। इस प्रकार वहाँ बैड सोर बन जाता है। इसे दबाव घाव (Pressure sore) भी कहते हैं।

Bed sore कारण Cause

बैड सोर (Bed sore) बनने के निम्नलिखित कारण हैं-दबाव (Pressure)घर्षण (Friction)नमी (Moisture)रोगाणुओं की उपस्थिति (Presence of pathogenic organisms)पोषक तत्वों की कमी (Deficiency of nutrient)दबाव (Pressure) दबाव बैड सोर (bed sore) बनने का प्रमुख कारण है। रोगी के बिस्तर पर आराम करते समय शारीरिक भार से हड्‌डी और बिस्तर के बीच कुछ स्थानों को त्वचा दब जाने से उस स्थान की रक्त वाहिनियाँ पिचक जाती हैं। इस प्रकार रक्त आपूर्ति कम हो जाती है। रक्त आपूर्ति कम या न के बराबर होने से कोशाएँ मरने लगती हैं। इस प्रकार सुभेद्य त्वचा पर घाव बन जाते हैं।घर्षण (Friction) त्वचा (skin) का शैय्या (bed) की कठोर या खुरदरी सतह से घर्षण (रगड़ने) होने पर वह स्थान गर्म हो जाता है। इस प्रकार वहाँ जलने जैसे बेड सोर बन जाते हैं।नमी (Moisture) नम/गीले बिस्तर या कपड़े के अधिक समय तक त्वचा के सम्पर्क में रहने से त्वचा कुचल जाती है और शैय्या घाव बन जाता है।रोगाणुओं की उपस्थिति (Presence of pathogenic organisms) त्वचा की सफाई में कमी होने से त्वचा पर घातक जीवाणु व अन्य सूक्ष्मजीव (Micro organism) पनपने लगते हैं जो त्वचा को नष्ट कर वहाँ घाव बना देते हैं।

पोषक तत्वों की कमी (Deficiency of Nutrients)

विटामिन्स व जल को शरीर में पर्याप्त मात्रा त्वचा को स्वस्थ बनाये रखती है। विटामिन ए, सी, डी व ची-कमप्लैक्स (vitamin A, C, D and B-complex) की कमी से त्वचा कमजोर हो जाती है। ऐसी त्वचा पर शय्याक्षत (Bed sore) जल्दी बन जाते हैं तथा उनके ठीक होने में कठिनाई भी होती है।उत्तन अवस्था के शय्याक्षतों का निवारण (Prevention of bed sore in supine position)चित्त अवस्था में अधिक समय तक रोगी के लेटे रहने से उसकी पीठ की त्वचा पर बैंड सोर बनते हैं। ये बैड सोर कुहनी (elbow), नितम्बों (buttocks) आदि पर भी बन सकते हैं।

इन्हें निम्न प्रकार होने से रोका जा सकता है-बैड सोर (Bed sore) होने की प्रकृति के रोगी की पहचान कर।बैड सोर होने की प्रकृति (decubitus prone) के रोगी की त्वचा का प्रतिदिन निरीक्षण करना चाहिए। निरीक्षण विशेषतः उन स्थानों का करना आवश्यक है जहाँ दबाव बिन्दु (pressure points) होते हैं। निरीक्षण के समय यह देखना चाहिए कि इन दबाव बिन्दुओं (pressure points) पर कोई लालिमा (redness) या फफोला (blister) आदि तो नहीं बन गया है। यदि ऐसा है तो उसका तुरन्त उपचार करें।रोगी को स्वच्छ एवं सूखा (Clean and dry) रखें।रोगी को मुलायम ग‌द्दे पर लिटाएँ।त्वचा को चटकने (craking) से बचाने के लिए उस पर पाउडर लगाएँ।रोगी व उसके परिजनों को स्वच्छतापूर्ण देख-भाल की शिक्षा दें।रोगी को चिकना (smooth), दृढ़ (firm) तथा झुर्रियाँ रहित (wrinkle free) बिस्तर पर लिटाएँ।रोगी के नाखून (Nails) उचित लम्बाई में काट दें, जिससे खुजाने पर त्वचा पर खरीचे न पड़ें।. रोगी को बिस्तर में ही आरामपूर्वक करवट बदलते रहने की सलाह दें, यदि ऐसा सम्भव हो।. रोगी द्वारा सम्भव न होने पर नर्स को सहारे से ऐसा कराना चाहिए।बिस्तर को गीला न करें।सिर के पिछले भाग (back of the head), स्कन्धफलकों (scapulae), त्रिकास्थी क्षेत्र (sacral region), कुहनी (elbow) और ऐड़ीयों (heels) को त्वचा का. प्रतिदिन निरीक्षण कर एण्टीबायोटिक युक्त पाउडर छिड़‌कना चाहिए।

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