INFECTIVE PHARYNGITIS Causes and Treatment

INFECTIVE PHARYNGITIS इन्फेक्टिव फैरिंजाइटिस/औपसर्गिक ग्रसनीशोथ

INFECTIVE PHARYNGITIS मुख्यतः स्ट्रेप्टोकोक्कल तथा स्टेफाइलोकोक्कलजन्य होता है। इसमें रोगी को गले में घोट्ने जैसा कष्ट होता है, जिसे निगरण कष्ट (Dysphagia) कहते हैं। इसके साथ-साथ गले में दर्द तथा विषाक्तता के ता के लक्षण भी दिखाई देते हैं। गले की ग्रंथियाँ शोधयुक्त तथा वेदना युक्त / स्पर्श असह्य (Tender) हो जाती हैं। इसे गलकोष का तीव्र शोथ भी कहते हैं।

INFECTIVE PHARYNGITIS कारण

INFECTIVE PHARYNGITIS यह रोग प्रायः स्ट्रेप्टोकोकस, स्टेफाइलोकोकस ओरियस, न्यूमोकोकस जीवाणुओं द्वारा होता है। इसके अन्य सहायक कारण हैं गले की बीमारी, अशुद्ध वायु वाले वातावरण में रहने से।• यह रोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाले लोगों में अधिक होता है।लक्षण-निगलने में कष्ट (Dysphagia)।- कान में पीड़ाबुखार 102°-105°F तक ।कंपकपी (Rigors)गला खराब (Sore throat) 1गर्दन की लसीका ग्रंथियों में वृद्धि एवं दबाने से कष्ट।ग्रसनी की श्लेष्म कला में लालिमा।गले में खराश एवं शरीर में दर्द।खाँसी व आवाज में भारीपन।नाड़ी तेज चलती है।थूक निगलने और बोलने में दर्द होता है।तीव्र दशा में पूरा गलकोष बुरी तरह से लाल हो जाता है।गलकोष की श्लैष्मिक कला सूजी होती है और उस पर म्यूकस भरा रहता है।तालू और कौआ में भी सूजन आ जाती है।मुँह खोलने में कष्ट होता है और साँस में बदबू होती है।अपर सरवाइकल नोड्स बढ़ जाते हैं।टॉक्सीमिया के लक्षण पैदा हो जाते हैं।

उपद्रव-

उचित चिकित्सा करने पर यह रोग 8-10 दिन में ठीक हो जाता है। पर कभी-कभी संक्रमण आस-पास की रचनाओं में फैलकर या खून द्वारा दूसरे अंगों में जाकर भी संक्रमण कर देता है।उपद्रव इस प्रकार हैं-स्वरयंत्र में सूजन।वृक्क शोथगर्दन तोड़ बुखार।परिफुफ्फुस शोथ।रक्तपूतिताहृदयावरण शोथ आदि।

INFECTIVE PHARYNGITIS TREATMENT उपचार –

रोगी को पूर्ण विश्राम दें।इन्फेक्टिव फैरिजाइटिस/औपमर्गिक ग्रगमनीशोथ755तरल आहार व मुलायम पोषक पदाथों की अधिकता।दर्द व बुखार के लिए दर्द निवारक एंटीपायरेटिक तथा एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएँ जैसे- पलेमर एम. एक्स. आई बूजसेक प्लस (I bugesic plus), फ्लेक्सान, कोम्बीफ्लेम, मेक्सरेल आदि में से कोई एक दिन में 3-4 बार दें।→ गले से स्वेब लेकर कल्चर (Culture) के लिए भेजें तथा उसी के अनुसार उचित एंटीबायोटिक शुरू करें। पेनेसिलिन 5 लाख यूनिट IIM (मांसपेशीगत्) प्रति 12 घंटे पर 5 दिन तक दें, पर जिसे एलर्जी हो उसे दूसरी एंटीबायोटिक शुरू करें। यथा ब्राडस्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक जैसे-एंपीसिलीन (Ampicillin), एमोक्सीसिलिन (Amoxycillin), इरीथ्रोमाइसिन (Erythromycin), सेफलेक्सिन (Cephalixin), एपीसिलीन क्लोक्सासिलिन, सिपरोफ्लोक्सासिन (Ciprofloxacin). ड्राक्सीबिड आदि में से कोई भी बड़ी मात्रा (Highdose) में दें। कल्बर रिपोर्ट आने पर जीवाणु के अनुसार एंटीबायोटिक दें।नमक के पानी से गरारे कराएँ।→ लोर्जेजेज जैसे- स्ट्रेप्सील्स, टस-क्यू, विक्स आदि की गोली 3-4 घंटे में चूसने के लिए दें।खाँसी अधिक आने पर एक्सपेक्टोरेंट सीरप दें जैसे क्लिस्टिन डी एम आर (Clistin DMR), वेंटोलीन, टस-क्यू, सोवेटाल, डाइलोसीन, वेंट पी. डी. आदि से 1-2 चम्मच दिन में 3-4 बार दें। श्वास लेने में कठिनाई होने पर ट्रेकियोस्टोमी करें।आयुर्वेदिक पेटेंट औषधियाँ इसमें उन सभी औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है, जो सोर थ्रोट / खराब गला (65) के अंतर्गत बताई गई है।

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