NEW BORN BABY

INTRODUCTION NEW BORN BABY

NEW BORN BABY जन्म से पहले गर्भ में शिशु एक आरामदायक वातावरण में रहता है। जन्म होने के बाद बाह्य वातावरण में ताप परिवर्तन (Temperature variation), आर्द्रता (Humidity) तथा भिन्न वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric pressure) की वजह से बच्चे को भुरीबतों का सामना करना (Struggle) पड़ता है।

शरीर क्रियात्मक समायोजन (Physiological adjustnient) के लिये जन्म प्रक्रिया के समय लगने वाले दबावों (Stresses) के कारण अपरा (Placenta), रक्त का पी.एच. मान (blood pH value) तथा नवजात शिशु के रक्त परिसंचरण (Blood circulation) में परिवर्तन आ जाते हैं।

CHANGES IN NEW BORN BABY

ये परिवर्तन निम्नलिखित हैं-• Respiratory changes: रासायनिक और तापीय उत्तेजनाएँ (Chemical and thermal stimulations) श्वसन क्रिया प्रारम्भ करती हैं।• Circulatory changes: Fetal circulation और Postnatal circulation में कई प्रकार के बदलाव होने लगते हैं, जैसे-Fetal shunt, Foramen ovale, ductus arteriosus तथा ductus venosus का क्रियात्मक रूप से बन्द होना।•

Blood: Neonate

के रक्त का आयतन 90 मिली. प्रति किलोग्राम शारीरिक वजन होता है। लाल रक्त कोशाओं की औसत गिनती 50 लाख कोशाएँ प्रति घन मि.मी. रक्त होती है तथा रुधिरवर्णिका (Haemoglobin) की मात्रा 18 से 20 mg/100 ml. रक्त होती है। जन्म के बाद बड़ी मात्रा में RBC टूट जाती हैं, Hb कम हो जाता है और Bilirubin की मात्रा बढ़ जाती है।•

Thermoregulation :

जन्म के समय नवजात शिशु की ताप-नियन्त्रक क्षमता Temperature regulating capacity) उसकी उपापचयी क्रियाओं पर निर्भर रहती है। नवजात शशु की उपापचय दर (Metabolic rate) वयस्क उपापचयी दर से दुगुनी होती है।• Fluid and Electrolyte Balance: नवजात शिशु में 70% द्रव पाया जाता है. वयस्क (adult) में दय 58% होता है। इसमें अन्त:कोशीय द्रव (Intra cellular fluid) बाह्य कोशा द्रव (Extra cellular fluid) होता है; सोडियम (Na’) तथा क्लोराइड (CT) को (Mg”) व फॉस्फेट (PO) का स्तर (Lower) होता है।

Gastrointestinal system:

नवजात शिशु के आमाशय (Stomach) की क्षमता ml होती है: आमाशय के खाली होने में लगने वाला समय कम होता है। यह समय 21½ है। घण्टा होता है। इसीलिए नवजात शिश को जल्दी-जल्दी और थोड़ा-थोडा स्तन पान (Brea feeding) की आवश्यकता होती है। नवजात शिशु में क्रमाकुंचन एवं प्रतिक्रमाकुंचन (Peristal and antiperistalsis) गतियाँ तीव्र होती हैं। जठरागत संवरणी (Cardiac sphincter) शिथिल होने से आमाशय का दही अक्सर मुँह से बाहर आ जाता है-Common regurgitation नवजात शिशु के प्रथम मल को Maconium कहते हैं जो चिपचिपा व हरा-काला (Sticky and greenish-black) होता है। इसमें Bile pigment, Fatty acid, Mucus, Amniotic fluid Epithelial cells आदि पाये जाते हैं। 3 दिन के बाद Stool का रंग बदल जाता है, क्योंकि बच्चा दूध पीने लगता है। दूध पीने के बाद मल (Stool) का रंग हरा-कत्थई (Greenish-brown) हो जाता है साथ ही इसकी चिपकन कम हो जाती है। जो बच्चा Top feed पर रखा जाता है उसके मल (Stool) का रंग पीला (Pale) और दुर्गन्ध वाला (Offensive smell) होता है। जन्म के समय यकृत (Liver) में Glycogen storage बहुत कम रहता है। इसलिए जब feeds में देर हो जाती है तो त्वचा Hypoglycemia में चला जाता है।•

Renal system :

नवजात शिशु के गुर्दों (Kidneys) की द्रव व विद्युत अपघट्य असंतुलन (Fluid and electrolyte imbalance) को सामान्य करने की शक्ति अपर्याप्त होती है। प्रथम दिन कुल मूत्र का आयतन केवल 20ml होता है जो प्रथम सप्ताह के अन्त तक 200 से 300 ml हो जाता है। नवजात शिशु का मूत्र गन्धहीन (Odourless) व रंगहीन (Colorles होता है।• Skin : त्वचा की Dermis और Epidermis दोनों ही बहुत पतली होती हैं। इसीलिए इसकी त्वचा को हल्का-सा भी रगड़ दिया जाये तो फफोला बन जाने का खतरा रहता है। त्वग्वसास्त्रावी ग्रन्थियाँ (Sebaceous glands) शिरोवल्क (Scalp), चेहरा (Face) और जननांगों (Genitalia) पर अधिक पायी जाती हैं जो अत्यधिक सक्रिय (too active) होती हैं।•

Protection against infection:

नवजात शिशु में त्वचा व श्लैष्मिक कला (Skin and mucous membrane) रोगाणुओं के प्रवेश को रोकती हैं। साथ ही उसे निष्क्रिय प्रतिरक्षा (Passive immunity) माँ के रक्त से प्राप्त होती है जो उसे रोगग्रस्त होने से बचाती है। बच्चे को माँ के रक्त से 1gG और स्तन दुग्ध (Breast milk) से 1gA प्राप्त होती है। Maternal sex hormone की वजह से Hypertonic Labia और Enlarged breast पायी जाती हैं। Proge-sterone की मात्रा अचानक कम हो जाने और Estrogen से मादा शिशु में Pseudo-menstruation होने लगता है।

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